ग़ैरों के सहारे से ऊँचाई, तो बेल चढ़े हैं
हम वो दरख़्त हैं जो अपने दम पे खड़े हैं।
-शीलू अनुरागी
थी कौन, कहाँ से आई थी थी कौन, कहाँ से आई थी, पूछा नहीं उसका हाल। जिसके अधर मितभाषी थे, पर नैन बहुत वाचाल। हवा के संग में उड़ता था, परचम सा ...
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