Wednesday, February 8, 2023

तू प्रेम में मेरे राधा बन जा||कविता||शीलू अनुरागी

 

5. तू प्रेम में मेरे राधा बन जा

तू प्रेम में मेरे राधा बन जा,
कृष्ण तेरा बन जाऊँ मैं।
तू नंद लला की बन बंसी,
अधरों से तुझे लगाऊँ मैं।

पवनों के तेज झकोरों में,
बिरज की संकरी खोरों में।
सूफी और संत-फकीरों में,
जमुना में, दोनों तीरों में।
कान्हा-कान्हा तेरी तान लगे,
और राधे-राधे गाऊँ मैं।
तू प्रेम में मेरे राधा बन जा,
कृष्ण तेरा बन जाऊँ मैं।
तू नंद लला की बन बंसी,
अधरों से तुझे लगाऊँ मैं।

चोरी कर माखन खाने से,
तेरी मटकी फोड़ गिराने से।
तेरी राह सदा ही रोकूँ मैं,
जब आये तू बरसाने से।
नोक-झोक में बार-बार,
तू रूठे, तुझे मनाऊँ मैं।
तू प्रेम में मेरे राधा बन जा,
कृष्ण तेरा बन जाऊँ मैं।
तू नंद लला की बन बंसी,
अधरों से तुझे लगाऊँ मैं।

होली में चोली मसक जाए,
हिय तेरा कुछ कसक जाए।
लट्ठों से कुछ ऐसी मार घले,
टोली की टोली फसक जाए।
श्याम-श्याम तेरा अंग-अंग,
राधा-राधा रँग जाऊँ मैं।
तू प्रेम में मेरे राधा बन जा,
कृष्ण तेरा बन जाऊँ मैं।
तू नंद लला की बन बंसी,
अधरों से तुझे लगाऊँ मैं।

दूर क्षितिज में मिल जाएँ,
तू और मैं अवनि-अम्बर से।
तेरे लहँगा चोली खूब फबें,
मेरे मोर पखा पीतम्बर से।
प्रेमानल से शीतल हो तू,
दृग्जल से जल जाऊँ मैं।
तू प्रेम में मेरे राधा बन जा,
कृष्ण तेरा बन जाऊँ मैं।
तू नंद लला की बन बंसी,
अधरों से तुझे लगाऊँ मैं।

मिलन भले ही क्षण का हो,
कली पर जैसे भ्रमर रहे।
पृथ्वी लोक पर प्रेम हमारा,
युगों-युगों तक अमर रहे।
नामों का ऐसा युगल बने,
तेरे बाद पुकारा जाऊँ मैं।
तू प्रेम में मेरे राधा बन जा,
कृष्ण तेरा बन जाऊँ मैं।
तू नंद लला की बन बंसी,
अधरों से तुझे लगाऊँ मैं।

-शीलू अनुरागी

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