क्यों नहीं आता तुझे?
अनकहे को जान जाना, क्यों नहीं आता तुझे?
दर्द-प्यार में अंतर लगाना, क्यों नहीं आता तुझे?
हाँ, मैं नाराज हूँ, परेशान हूँ, ये भी मैं ही बताऊँ!
अंदाज़ से अंदाज़ा लगाना, क्यों नहीं आता तुझे?
क्या हुआ? कैसे हुआ? हर बार पूछती है तू ये,
तीर को तम में चलाना, क्यों नहीं आता तुझे?
ये हैरानी भरे सवाल कर, दर्द और बढ़ा देती है,
घाव पर मरहम लगाना, क्यों नहीं आता तुझे?
बड़ा अच्छा लगता है, पल भर में रूठना तुझे,
तो आज मेरा रूठ जाना, क्यों नहीं भाता तुझे?
जिस तरह तुझे मनाया, हर बार रूठने पर तेरे,
ठीक वैसे ही मनाना, क्यों नहीं आता तुझे?
हमारी उड़ती रहें रातों की नींदें सोती रहे तू चैन से,
मेरी फिक्र में खुद को जगाना, क्यों नहीं आता तुझे?
सदा पलकों को बिछाएँ, हम ही तेरी राह पर,
प्यार में खुद को झुकाना, क्यों नहीं आता तुझे?
-शीलू अनुरागी
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